जब सब कुछ तय हो गया है, बेईमानी करनी है…” तेजस्वी यादव का वोटर लिस्ट विवाद पर बड़ा बयान - बिहार की राजनीति में नया तूफान! क्या वोटर लिस्ट से लाखों नाम हटाए गए?
बिहार में इन दिनों वोटर लिस्ट को लेकर जबरदस्त विवाद छिड़ा हुआ है। वोटर लिस्ट के संशोधन अभियान (SIR - Special Summary Revision) को लेकर पूरे राज्य में बवाल मचा है। यह विवाद अब सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि इसकी गूंज दिल्ली तक पहुंच चुकी है।
इसी बीच आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का एक बड़ा और तीखा बयान सामने आया है, जिसने इस मुद्दे को और भी गर्मा दिया है।
तेजस्वी यादव ने कहा:
“जब सब कुछ तय हो ही गया है, बेईमानी करना ही है, खुलेआम बेईमानी करना है... वोटर लिस्ट से लाखों का नाम काट देना है।”
क्या है एसआईआर अभियान?
भारत निर्वाचन आयोग हर साल SIR (Special Summary Revision) अभियान चलाता है, जिसमें वोटर लिस्ट में नए नाम जोड़े जाते हैं, पुराने या गलत नाम हटाए जाते हैं और जरूरी सुधार किए जाते हैं।
लेकिन इस बार बिहार में इस प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि यह अभियान निष्पक्ष नहीं है और इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है।
तेजस्वी यादव का आरोप
तेजस्वी यादव का कहना है कि:
- लाखों लोगों के नाम बिना सूचना हटाए जा रहे हैं।
- यह सब चुनावी रणनीति के तहत हो रहा है ताकि विपक्ष के समर्थकों को वोट देने से रोका जा सके।
- जनादेश को प्रभावित करने की साजिश रची जा रही है।
उनका यह बयान सत्ता पक्ष और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाता है और इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।
सियासी तूफान तेज
तेजस्वी यादव के बयान के बाद:
- आरजेडी और महागठबंधन के अन्य दल इस मुद्दे को लेकर सड़क से सदन तक आवाज उठा रहे हैं।
- वहीं, सत्तारूढ़ दल (जैसे बीजेपी और जेडीयू) इस आरोप को राजनीतिक स्टंट बता रहे हैं और कह रहे हैं कि वोटर लिस्ट की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और नियमों के अनुसार चल रही है।
क्यों है यह मुद्दा अहम?
वोटर लिस्ट लोकतंत्र की रीढ़ है। यदि किसी नागरिक का नाम गलत तरीके से हटाया जाता है, तो उसका मतदान करने का मौलिक अधिकार ही उससे छिन जाता है। ऐसे में यह सिर्फ एक तकनीकी या प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव से जुड़ा सवाल बन जाता है।
तेजस्वी यादव का यह बयान इस ओर इशारा करता है कि बिहार में चुनावी तैयारी अभी से जोर पकड़ रही है। वोटर लिस्ट का निष्पक्ष और पारदर्शी रहना लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी बड़ा राजनीतिक हथियार बन सकता है।