भारतीय टीम में चयन के बाद आर्थिक सहायता का इन्तजार करता राहुल
भारतीय टीम में चयन के बाद आर्थिक सहायता का इन्तजार करता राहुल - अपने बलबूते पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीतने के पश्चात भारतीय टीम में चयन होना बड़े गर्व की बात है तथा यह गर्व प्रोत्साहन के रूप में तब बदल जाता है जब इन उपलब्धियों को सराहना मिले.
परन्तु सरकार की तरफ से ना सराहना, ना मान सम्मान, न कोई प्रोत्साहन. ऐसे में हर खिलाड़ी टूट कर अपना करियर समाप्त करने को मजबूर हो जाता है. कुछ ऐसी ही कहानी है सीकर जिले के श्रीमाधोपुर कस्बे के निवासी राहुल प्रजापत की, जो राष्ट्रीय टीम में चयन के पश्चात फण्ड की तलाश में जुटे हुए हैं.
राहुल ने अभी कुछ दिनों पहले हरियाणा में आयोजित राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल हासिल किया है. यहीं पर राहुल का चयन नवम्बर में बोस्निया या तुर्की में आयोजित अन्तराष्ट्रीय किक बॉक्सिंग प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम में हुआ है.
वर्तमान में राजस्थान सरकार किक बॉक्सिंग खेल के लिए ना तो कोई फण्ड देती है और ना ही इस खेल को अन्य कोई सहायता देती है. यहाँ तक की राजस्थान में इस खेल को मान्यता भी नहीं है. महाराष्ट्र सहित अन्य कई राज्य सरकारें अपने खिलाडियों को प्रोत्साहित करती है परन्तु राजस्थान सरकार ने अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है.
खिलाडियों के सामने ये समस्या है कि वे देश के लिए खेलने की तैयारी करें या खेलने के लिए धन की व्यवस्था में जुटे.
अगर बात क्रिकेट की होती तो सरकार के साथ-साथ बहुत से लोग भी सहायता करने के लिए आगे आ जाते परन्तु जिस देश में क्रिकेट ही सब कुछ है वहाँ अन्य खेलों को प्रोत्साहन नहीं मिलता है.
चाहे राजनेता हो या मीडिया, सभी उन खेलों के साथ जुड़े रहना चाहते हैं जिनमे पैसा तथा प्रतिष्ठा दोनों का अर्जन होता है. मीडिया भी सिर्फ उन खेलों का अधिक कवरेज करता है जिनमे टीआरपी अधिक मिलती है.
उड़न परी हिमा दास का उदाहरण सामने है जिन्होंने आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत कर भारत का नाम रोशन किया है. गौरतलब है कि ऐसा करने वाली ये पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं. ये अब तक कुल पाँच गोल्ड मैडल जीत चुकी है परन्तु क्रिकेट के शोर में इनकी उपलब्धि कही खो गई है.
क्रिकेट के सामने अन्य खेलों ने लगभग दम तोड़ दिया है. इन खेलों के खिलाडियों में जब तक अपने बल बूते संघर्ष कर खेलने की क्षमता होती है तब तक ये खेलते हैं जब टूट जाते हैं तब मजबूरन खेल को छोड़ देते हैं.
राहुल पिछले दो दिनों से जयपुर में रूककर राजनेताओं से मिलने का प्रयास कर रहे हैं. ये अशोक चांदना जो कि वर्तमान राजस्थान सरकार में युवा मामले एवं खेल मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सहित अपने कस्बे श्रीमाधोपुर के विधायक दीपेन्द्र सिंह शेखावत से मिलने का प्रयास कर रहे हैं ताकि उन्हें अपनी उपलब्धि और समस्या के बारे में बता सके.
अब बड़ा प्रश्न यह है कि क्या राहुल अंतर्राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग प्रतियोगिता में भारत की तरफ से खेल कर अपने देश के साथ राजस्थान का नाम रोशन कर पाएगा या फिर एक और प्रतिभा सरकारी अकर्मण्यता की वजह से दम तोड़ देगी.
भारतीय टीम में चयन के बाद आर्थिक सहायता का इन्तजार करता राहुल Rahul waits for financial help after selection in Indian team
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परन्तु सरकार की तरफ से ना सराहना, ना मान सम्मान, न कोई प्रोत्साहन. ऐसे में हर खिलाड़ी टूट कर अपना करियर समाप्त करने को मजबूर हो जाता है. कुछ ऐसी ही कहानी है सीकर जिले के श्रीमाधोपुर कस्बे के निवासी राहुल प्रजापत की, जो राष्ट्रीय टीम में चयन के पश्चात फण्ड की तलाश में जुटे हुए हैं.
राहुल ने अभी कुछ दिनों पहले हरियाणा में आयोजित राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल हासिल किया है. यहीं पर राहुल का चयन नवम्बर में बोस्निया या तुर्की में आयोजित अन्तराष्ट्रीय किक बॉक्सिंग प्रतियोगिता के लिए भारतीय टीम में हुआ है.
वर्तमान में राजस्थान सरकार किक बॉक्सिंग खेल के लिए ना तो कोई फण्ड देती है और ना ही इस खेल को अन्य कोई सहायता देती है. यहाँ तक की राजस्थान में इस खेल को मान्यता भी नहीं है. महाराष्ट्र सहित अन्य कई राज्य सरकारें अपने खिलाडियों को प्रोत्साहित करती है परन्तु राजस्थान सरकार ने अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है.
खिलाडियों के सामने ये समस्या है कि वे देश के लिए खेलने की तैयारी करें या खेलने के लिए धन की व्यवस्था में जुटे.
अगर बात क्रिकेट की होती तो सरकार के साथ-साथ बहुत से लोग भी सहायता करने के लिए आगे आ जाते परन्तु जिस देश में क्रिकेट ही सब कुछ है वहाँ अन्य खेलों को प्रोत्साहन नहीं मिलता है.
चाहे राजनेता हो या मीडिया, सभी उन खेलों के साथ जुड़े रहना चाहते हैं जिनमे पैसा तथा प्रतिष्ठा दोनों का अर्जन होता है. मीडिया भी सिर्फ उन खेलों का अधिक कवरेज करता है जिनमे टीआरपी अधिक मिलती है.
उड़न परी हिमा दास का उदाहरण सामने है जिन्होंने आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत कर भारत का नाम रोशन किया है. गौरतलब है कि ऐसा करने वाली ये पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं. ये अब तक कुल पाँच गोल्ड मैडल जीत चुकी है परन्तु क्रिकेट के शोर में इनकी उपलब्धि कही खो गई है.
क्रिकेट के सामने अन्य खेलों ने लगभग दम तोड़ दिया है. इन खेलों के खिलाडियों में जब तक अपने बल बूते संघर्ष कर खेलने की क्षमता होती है तब तक ये खेलते हैं जब टूट जाते हैं तब मजबूरन खेल को छोड़ देते हैं.
राहुल पिछले दो दिनों से जयपुर में रूककर राजनेताओं से मिलने का प्रयास कर रहे हैं. ये अशोक चांदना जो कि वर्तमान राजस्थान सरकार में युवा मामले एवं खेल मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सहित अपने कस्बे श्रीमाधोपुर के विधायक दीपेन्द्र सिंह शेखावत से मिलने का प्रयास कर रहे हैं ताकि उन्हें अपनी उपलब्धि और समस्या के बारे में बता सके.
अब बड़ा प्रश्न यह है कि क्या राहुल अंतर्राष्ट्रीय किक बॉक्सिंग प्रतियोगिता में भारत की तरफ से खेल कर अपने देश के साथ राजस्थान का नाम रोशन कर पाएगा या फिर एक और प्रतिभा सरकारी अकर्मण्यता की वजह से दम तोड़ देगी.
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