जीवन का दर्शनशास्त्र
फूलों को महक दी कुदरत ने
काँटों को हमें महकाना है
जो काम किसी से हो ना सका
वो काम हमें कर जाना है।
सूरज से उजाला क्यों मांगे
चाँद सितारों से क्यों उलझे
जीवन की अँधेरी रातों में
अब खुद को हमें चमकाना है।
दौलत के नशे में चूर हो क्यों
ताकत पे बेहद मगरूर हो क्यों
दुनिया है तमाशा दो दिन का
सब छोड़ यहीं पर जाना है।
लब्जों की भी कीमत होती है
लब्जों का तुम सम्मान करो
शायद वो हकीकत बन जाए
जो लब्ज अभी अफसाना है।
ऐ दोस्त बहारों का मौसम
हर वक्त नहीं रहने वाला
जो आज खिला है गुलशन में
उस फूल को कल मुरझाना है।
जीवन का दर्शनशास्त्र
Philosophy of life
Written by:
Kundan Singh Chouhan
काँटों को हमें महकाना है
जो काम किसी से हो ना सका
वो काम हमें कर जाना है।
सूरज से उजाला क्यों मांगे
चाँद सितारों से क्यों उलझे
जीवन की अँधेरी रातों में
अब खुद को हमें चमकाना है।
दौलत के नशे में चूर हो क्यों
ताकत पे बेहद मगरूर हो क्यों
दुनिया है तमाशा दो दिन का
सब छोड़ यहीं पर जाना है।
लब्जों की भी कीमत होती है
लब्जों का तुम सम्मान करो
शायद वो हकीकत बन जाए
जो लब्ज अभी अफसाना है।
ऐ दोस्त बहारों का मौसम
हर वक्त नहीं रहने वाला
जो आज खिला है गुलशन में
उस फूल को कल मुरझाना है।
जीवन का दर्शनशास्त्र
Philosophy of life
Written by:
Kundan Singh Chouhan